Story in English-
Once upon a time, Amarasakti ruled the city-state of Mahilaropyam in
the south of India. He had three witless sons who became a matter of
endless worry for him. Realizing that his sons had no interest in
learning, the king summoned his ministers and said:
“You know I
am not happy with my sons. According to men of learning an unborn son
and a stillborn son are better than a son who is a dimwit. What good is a
barren cow? A son who is stupid will bring dishonor to his father. How
can I make them fit to be my successors? I turn to you for advice.”
One
of the ministers suggested the name of Vishnu Sharman, a great scholar
enjoying the respect of hundreds of his disciples. “He is the most
competent person to tutor your children. Entrust them to his care and
very soon you will see the change.”
The king summoned Vishnu
Sharman and pleaded with him “Oh, venerable scholar, take pity on me and
please train my sons into great scholars and I will make you the lord
of hundred villages.”
Vishnu Sharman said “Oh, king, listen to
my pledge. Hundred villages do not tempt me to vend learning. Count six
months from today. If I do not make your children great scholars, you
can ask me to change my name.”
The king immediately called his sons and handed them to the care of
the learned man. Sharman took them to his monastery where he started
teaching them the five strategies (Panchatantra). Keeping his word, he
finished the task the king entrusted him in six months. Since then,
Panchatantra became popular all over the world as children's guide in
solving problems of life.
Now
begins the Loss of Friends (first of the five strategies) series. These
are stories that figure in a dialogue between two jackals named
Karataka and Damanaka.
Long, long ago, a merchant named Vardhaman
lived in a town in the south of India. As he was resting on his bed one
day it struck him that money was the axis of the world and that the
more he had of it the more he would be powerful. Even enemies seek the
friendship of a rich man, he told himself. The old become young if they
have riches and the young become old if they do not have wealth.
Business is one of the six ways that help man amass wealth. This was his
logic.
Mobilizing all his wares, Vardhaman set out on an auspicious day for
Madhura in search of markets for his goods. He began his travel in a
gaily-decorated cart drawn by two bullocks. On the way, tired of the
long haul, one of the bullocks named Sanjeevaka collapsed in the middle
of a jungle near river Jamuna. But the merchant continued his journey
asking some of his servants to take care of the animal. But the servants
abandoned the bullock soon after their master had left. Joining him
later, they told him that the bullock was dead.
In fact, Sanjeevaka was not dead. Feeding on the abundant fresh and tender grass in the forest, he regained strength
and began to merrily explore the jungle, dancing and singing in joy. In
the same forest lived Pingalaka, the lion. Sanjeevaka, content with his
new life in the jungle would waltz and sing uproariously with joy. One
day, Pingalaka and other animals were drinking water in the Jamuna when
the lion heard the frightening bellow of the bullock. In panic, the lion
withdrew into the forest and sat deeply lost in thought and surrounded
by other animals.
Sensing the predicament of their king, two jackals, Karataka and
Damanaka, sons of two dismissed ministers, were clueless as to what had
happened to their king.
“What could have happened to the lord of the forest,” asked Damanaka.
“Why should we poke our nose into affairs that are not our concern? ” asked Damanaka.
Moral of the Story- Do not believe in everything you listen. And never bother yourself from other's problem.
Story in Hindi-
एक समय की बात है, अमरासक्ति नाम का एक राजा दक्षिण भारत में राज करता था. उसके तीन कामचोर पुत्र थे, जो उसकी चिंता के कारन बन चुके थे. जब राजा को यह ज्ञात हुआ की, उसके पुत्रों को काम सिखने में कोई रूचि नहीं है, तो राजा अपने मंत्रियों को बुला कर बोला:
"आप लोगों को तो पता है की मैं अपने पुत्रों से खुश नहीं हूँ. ज्ञानी पुरुषों ने कहा है की अजन्में पुत्र, मुर्ख पुत्र से बेहतर होते हैं. मुर्ख पुत्र, अपने पिता के लिए अपमान का कारण बनता है. में उन्हें अपना उतराधिकारी के योग्य कैसे बनाऊं? मेरा मार्गदर्शन करें."
एक मंत्री ने विष्णुशर्मा का नाम बताया, एक बहुत ही ज्ञानी पुरुष, जो अपने सौ से अधिक शिष्यों के साथ रहता है. " वो ही आपके पुत्रों को सही शिक्षा दे पाएँगे. उनकी शरण में जायें और आपको बहुत जल्द ही बदलाव दिखेगा."
राजा ने विष्णुशर्मा को बुलावा भेजा और उनसे विनती करी, " हे, ज्ञानी, मुझे पर दया करो और मेरे पुत्रों को शिक्षा दे कर उन्हें भी ज्ञानी बनाओ और मैं आपको सौ गाँव का मालिक बना दूंगा."
विष्णुशर्मा बोले," हे राजा, मेरी बात सुनो. सौ गाँव का लालच मुझे नहीं है, आप आज से ६ महीने की गिनती करो. अगर मैं आपके पुत्रों को ज्ञानी न बना दूं, तो मेरा नाम बदल देना."
राजा ने तुरंत अपने पुत्रों को बुला भेजा और उन्हें विष्णुशर्मा के सुपुद्र कर दिया. शर्मा उन्हें अपने आश्रम में ले गया और पांच योजना शिखायी(पंचतंत्र). अपनी बात रखते हुए, वो अपना राजा के द्वारा दिया हुआ काम पूरा कर दिया. उसके बाद से, पंचतंत्र, पूरी दुनिया में , बच्चों के मार्गदर्शन के लिए, प्रसिद्ध हो गया. अब शुरू होता है मित्र को खोना ( पहली योजना). ये कहानी है दो सियार के बातचीत की जिनका नाम था कराताका और दमनका.
बहुत समय पहले की बात है, वर्धमान नाम का एक व्यापारी दक्षिण भारत में रहता था. एक दिन जब वोह आराम कर रहा था तब उसके मन में ख्याल आया की इस दुनिया में पैसा ही सबकुछ है, जितना उसे मिलता है, वोह उतना ही सक्तिशाली होता है. दुश्मन भी अमीर दोस्त ढूंढते हैं. वृद्ध भी जवान हो जाते हैं, अगर उसके पास पैसा होता है और जवान भी वृद्ध हो जाता है, अगर उसके पास प्पैसा नहीं होता है. व्यापार ६ तरीकों में एक तरीका है, पैसा कमाना का.
सब कुछ विचार करके, वर्धमान एक अच्छा दिन देख कर, अपनी जरूरत का सामान लेने बाजार की खोज में निकल पड़ा. उसने अपनी यात्रा एक सुंदर सुशोभित बैल गाड़ी में निकला. रास्ते में लम्बा चलने की वजह से थकान होने पर, एक बैल जिसका नाम संजीवाका था, चक्कर खा कर जंगल के बीचों बीच जमुना नदी के किनारे गिर पड़ा. फिर भी व्यापारी अपनी यात्रा जारी रखा और कुछ सेवकों को उस बैल का ख्याल रखने के लिए छोड़ गया. लेकिन उसके नौकरों ने मालिक के जाने के बाद बैल को अकेला छोड़ कर काले गए और जब अपने मैल्क से मिले तो उन्हें बताया की बैल तो मर चूका था.
लेकिन, संजीवाका मरा नहीं था. ताज़े और नर्म घास का सेवन करके वो बहुत जल्द ही सक्तिशाली हो गया और जंगल में घुमने लगा. उसी जंगल में, एक शेर, pingalaka, रहता था. संजीव्का, अपने नयी ज़िन्दगी से बहुत खुश हो कर बहुत जोर जोर से गाना गाने लगा. एक दिन, पिन्गालाका और उसके साथी, जमुना नदी में पानी पिने आये, उसी समय शेर को बैल की अजिन सी आवाज़ सुनाई दी. डर के मारे, शेर घने जंगल में दौड़ते हुआ पहुंचा और ग़हरी सोच में पड़ गया.
अपने राजा की ऐसी हालत देख कर दो सियार , कराताका और दमनका, जिन्हें यह समझ में नहीं आ रहा था की उनके मालिक को क्या हुआ है.
" जंगल के मालिक को क्या हुआ है," दमनका ने पूछा.
" दूसरों की बातों में अपनी नाक नहीं घुसना चाहिए", दमनका बोला.
कहानी से सिख- हर सुनी हुई बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए. और दूसरों के बात से अपने को दुखी नहीं करना चाहिए.